India News Bihar (इंडिया न्यूज), Bihar Cabinet Meeting: बिहार की एनडीए सरकार ने पंचायतों में 15 लाख रुपये से अधिक के कार्यों के लिए टेंडर प्रक्रिया को अनिवार्य करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की घोषणा की है। यह निर्णय मुखिया संघ के विरोध के बाद लिया गया, जिन्होंने इसे पंचायत मुखियाओं की आर्थिक शक्तियों पर अंकुश लगाने वाला बताया था।
पहले, सरकार ने इस कदम को भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए उठाया था। इस नीति के तहत, पंचायतों में 15 लाख रुपये से ऊपर के किसी भी काम के लिए टेंडर प्रक्रिया से गुजरना अनिवार्य था। सरकार का मानना था कि इससे स्पष्ट बात बढ़ेगी और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा।
लेकिन मुखिया संघ ने इस निर्णय का तीव्र विरोध किया और इसे अपने अधिकारों पर हमला बताया। संघ ने विरोध अभियान शुरू कर दिया और सरकार पर दबाव डालने लगा। साथ ही, आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सरकार को मुखिया संघ के विरोध का सामना करना पड़ा।
रविवार को पंचायती राज मंत्री केदार प्रसाद ने घोषणा की कि इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह मामला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास भेजा गया है और उनका निर्णय अंतिम होगा।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अब सबकी नजरें टिकी हैं। केदार प्रसाद ने स्पष्ट किया कि लोकतंत्र में सरकार को जनता के हित में काम करना चाहिए, और जो गलत करेगा, उसका फैसला जनता करेगी। सरकार पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन मुखिया संघ का विरोध सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस मुद्दे पर क्या निर्णय लेते हैं।