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Bihar Land Survey: राज्य में होने जा रहा जमीन सर्वे, किन दस्तावेजों की पड़ेगी जरूरत जानिए डिटेल्स

• LAST UPDATED : August 19, 2024

India News Bihar (इंडिया न्यूज), Bihar Land Survey: बिहार में भूमि सर्वे एक महत्वपूर्ण सरकारी पहल है जिसका उद्देश्य राज्य के भूमि रिकॉर्ड को व्यवस्थित और सही करना है। इस सर्वे के तहत, राज्य के सभी भू-स्वामियों के दस्तावेजों और जमीन के रिकॉर्ड की पुनरावृत्ति की जाती है, ताकि भूमि के स्वामित्व और उपयोग में कोई विवाद न हो।

बिहार में 20 अगस्त से शुरू हो रहे जमीन सर्वे के संबंध में लोगों के बीच कई सवाल उठ रहे हैं। इस सर्वे का मुख्य उद्देश्य भूमि विवादों का समाधान करना और जमीन के सही मालिक का निर्धारण करना है।

इस प्रक्रिया के दौरान, इन दस्तावेजों की आवश्यकता होगी:

1. जमीन की रसीद- यह दस्तावेज किसी भी नाम पर हो सकती है।
2. रजिस्ट्री की कॉपी – जमीन की पंजीकरण से संबंधित दस्तावेज।
3. जमीन का नक्शा- भूमि की स्थिति और आकार दर्शाने वाला।
4. सेल्फ डेक्लेरेशन पत्र – खुद के द्वारा दी गई जानकारी का पत्र।
5. मृत जमाबंदी रैयत की मृत्यु प्रमाण पत्र- मृतक रैयत के मृत्यु की तिथि प्रमाणित करने वाला दस्तावेज।
6. जमाबंदी संख्या की विवरणी/मालगुजारी रसीद संख्या – जमाबंदी और मालगुजारी की रसीद संख्या के साथ विवरण।
7. खतियान का नकल- यदि उपलब्ध हो।
8. दावाकृत भूमि से संबंधित दस्तावेजों की विवरणी- विवादित भूमि के दस्तावेज।
9. सक्षम न्यायालय का आदेश – यदि कोई आदेश हो, उसकी ओरिजिनल कॉपी।
10. वारिस प्रमाण पत्र – यह प्रमाणित करने वाला दस्तावेज कि आप मृतक के सही वारिस हैं।
11. आधार कार्ड की फोटो कॉपी – पहचान के लिए।
12. वोटर आईडी कार्ड की कॉपी – पहचान और पते के लिए।

दस्तावेजों की जरुरत सर्वे के दौरान

इन दस्तावेजों को सर्वे के दौरान प्रस्तुत करना होगा। आवश्यक कागजात ऑनलाइन भी प्राप्त किए जा सकते हैं या जिले में आयोजित शिविरों में जाकर ऑफलाइन भी जमा किए जा सकते हैं। जमीन सर्वे को लेकर कुछ मिथक भी फैले हुए हैं। यह प्रक्रिया जमीन छीनने की नहीं, बल्कि पहले से चल रहे विवादों को सुलझाने और वास्तविक मालिक का निर्धारण करने के लिए है।

इसका उद्देश्य यह है कि जमीन का स्वामित्व सही व्यक्ति के पास हो और जमीन विवाद समाप्त हो जाए। इस सर्वे के माध्यम से सरकार का लक्ष्य है कि भूमि के सभी विवादों का समाधान किया जाए और किसी भी प्रकार की कानूनी उलझन को दूर किया जाए, ताकि जमीन के मालिकाना हक को सही तरीके से स्थापित किया जा सके।

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