India News Bihar (इंडिया न्यूज), KK Pathak: बिहार में सरकारी स्कूलों में लगाए गए सबमर्सिबल बोरिंग की जांच अब शिक्षा विभाग द्वारा की जाएगी। यह निर्णय हाल ही में बिहार विधानमंडल के मॉनसून सत्र में उठे सवालों के बाद लिया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद, पीएचईडी (लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग) को 15 दिन के अंदर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया गया है। जांच रैंडम तरीके से की जाएगी, अर्थात कुछ चयनित स्कूलों की जांच की जाएगी।
इस योजना के तहत, सरकार ने हर स्कूल को सबमर्सिबल बोरिंग लगाने के लिए तीन-तीन लाख रुपये आवंटित किए थे। इसका उद्देश्य बच्चों को साफ और स्वच्छ पानी मुहैया कराना था, लेकिन कई स्कूलों में अब भी सबमर्सिबल बोरिंग के लाभ नहीं पहुंच पा रहे हैं।
कुछ स्कूलों में बोरिंग तो हो गई है, लेकिन नल, पाइप या टंकी की कमी के कारण पानी की सप्लाई ठीक से नहीं हो रही है। इसके अलावा, कई जगहों पर सबमर्सिबल बोरिंग पूरी तरह से काम नहीं कर रही है।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पीएचईडी के पास इस काम के लिए आवश्यक विशेषज्ञता है और वे तकनीकी मानकों के अनुसार जांच कर सकते हैं। बिहार के लगभग 13 हजार स्कूलों में यह बोरिंग योजना लागू की गई थी। जिन स्कूलों में बच्चों की संख्या अधिक है, वहां सबमर्सिबल बोरिंग लगाना अनिवार्य था।
इसके साथ ही, शिक्षा विभाग ने हर स्कूल में लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालयों की व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया था। इन शौचालयों में नल से पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जानी थी, और सफाई नियमित रूप से की जानी थी। लेकिन कई स्कूलों में इस दिशा में भी समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं।