India News Bihar ( इंडिया न्यूज ) Patna High Court: बिहार में दहेज उत्पीड़न मामले में चली सुनवाई में पटना हाईकोर्ट ने सिर्फ दो जजों के खिलाफ कार्रवाई की। गलत तरीके से ट्रायल चलाने और फिर याचिकाकर्ता को सजा सुनाने के मामले में कोर्ट ने सिर्फ समस्तीपुर जिला कोर्ट के दो जजों को प्रतीकात्मक सजा दी। याचिकाकर्ता को हुई परेशानी को देखते हुए हाई कोर्ट ने दोनों जजों को 100-100 रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है।
जस्टिस विवेक चौधरी की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि मामले में शख्स को बेवजह दोषी ठहराया गया है। न्यायमूर्ति ने दलसिंहसराय अनुमंडल निवासी सुनील पंडित द्वारा अधीनस्थ अदालत द्वारा सुनायी गयी सजा के खिलाफ दायर याचिका को स्वीकार करते हुए उक्त आदेश दिया।
पंडित ने 2016 में समस्तीपुर के सत्र न्यायालय के एक आदेश को चुनौती दी थी। जिसमें उन्हें तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी। याचिकाकर्ता का नाम उसी गांव की निवासी एक महिला द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी में शामिल किया गया था। महिला ने अपने पति पर दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाया था। न्यायमूर्ति चौधरी ने याचिकाकर्ता को भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए (किसी महिला के प्रति उसके पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता) और दहेज अधिनियम के तहत अपराध से बरी कर दिया।
अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता महिला के पति का रिश्तेदार नहीं था बल्कि अन्य आरोपी व्यक्तियों का सलाहकार मात्र था। अदालत ने संबंधित न्यायिक अधिकारियों उप-विभागीय न्यायिक मजिस्ट्रेट, दलसिंहसराय और अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश तृतीय, समस्तीपुर को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत के आपराधिक नकद अनुभाग में प्रत्येक को 100 रुपये की टोकन राशि जमा करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति चौधरी का कहना था कि दोनों अधीनस्थ न्यायालयों के उदासीन रवैये के कारण याचिकाकर्ता को हुई मानसिक पीड़ा, आघात और सामाजिक कलंक को देखते हुए जुर्माने की यह सांकेतिक राशि लगाई जा रही है। न्यायमूर्ति चौधरी ने कहा कि यह सभी अदालतों का दायित्व और कर्तव्य है कि वे शिकायत की सावधानीपूर्वक जांच करें और फिर संज्ञान लें और कानून के अनुसार आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करें।
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