India News Bihar (इंडिया न्यूज़), Pappu Yadav: पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव (Pappu Yadav) ने बुधवार को अपनी जन अधिकार पार्टी (जाप) का विलय कांग्रनेस में कर दिया है। उन्होंने और उनके बेटे सार्थक ने कांग्रेस मुख्यालय में देश की सबसे पुरानी पार्टी की सदस्यता ली है। बिहार राजनीति में पप्पू यादव का जाना माना चेहरा है। वहीं, उसकी पहचान भी बाहुबली के तौर पर भी होती है। बिहार में जब भी बाहुबलियों की बात होती है तो उनमें पप्पू यादव का नाम जरूर आता है। आज पप्पू यादव लोगों के लिए मसीहा हैं लेकिन उन्होंने ऐसे काम भी किये हैं जिनके कारण उन्हें 17 साल जेल में रहना पड़ा था।
पप्पू यादव (Pappu Yadav) का 1967 में बिहार के मधेपुरा जिले हुआ था। उन्होंने 1990 में वे निर्दलीय विधायक बने और उस समय उनका राजनीतिक रुतबा काफी ऊंचा था। पप्पू यादव के प्रभुत्व और उनके दृढ़ रवैये ने उन्हें बिहार के राजनीतिक मंच पर एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बना दिया। 17 साल जेल में बिताने वाले पप्पू यादव की पहचान एक कद्दावर नेता के तौर पर थी। उनके खिलाफ विभिन्न पुलिस स्टेशनों में हत्या, अपहरण, मारपीट, बूथ कैप्चरिंग, आर्म्स एक्ट जैसे कई मामले दर्ज हैं।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता अजीत सरकार की हत्या के मामले में पप्पू यादव को 17 साल तक जेल में रहना पड़ा। लेकिन उनका राजनीतिक सफर यहीं खत्म नहीं हुआ। पप्पू यादव विधायक रहने के बाद लोकसभा सदस्य भी रहे और 1991, 1996, 1999, 2004 और 2014 में लोकसभा सदस्य बनाये गये।
पप्पू यादव (Pappu Yadav)एक जमींदार परिवार से थे, जिनके पास जमीन-जायदाद की कोई कमी नहीं थी। कॉलेज जाने के बाद उसकी दबंगई में पहचान बन गई, जिसकी चर्चा सीमांचल के कई जिलों में होने लगी। 1980 के बाद जब लालू प्रसाद यादव ने भी राजनीतिक करियर में कदम रखा और अपनी चमक दिखानी शुरू की तो पप्पू यादव ने लालू यादव का साथ दिया।
उस वक्त ऐसे आरोप लगे कि पप्पू यादव पर बूथ कैप्चरिंग या लालू यादव के लिए मतपेटियां चुराने के आरोप साबित हो गये। इससे उनका राजनीतिक करियर आगे बढ़ा और उन्हें एक प्रभावशाली नेता माना जाने लगा।
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उनकी राजनीतिक सफलता में उनके सहयोगियों और समर्थकों की अहम भूमिका रही है। उनके दर्शकों और समर्थकों ने हमेशा पप्पू यादव का समर्थन किया, जिसके कारण उनकी राजनीतिक पारी कई कठिनाइयों को पार करती रही। आज पप्पू यादव की राजनीतिक महत्वाकांक्षा और उनका दृढ़ रवैया उन्हें एक प्रमुख राजनीतिक नेता बनाता है, जिन्होंने अपनी कठोरता और निर्भीकता से बिहार के राजनीतिक मंच को एक नया रूप दिया है।
वहीं, पप्पू यादव के लोकसभा चुनाव से कांग्रेस में अपनी पार्टी का विलय करने से बिहार की राजनीति में बड़ी उथल-पथल देखने को मिल सकती है। क्योंकि,पहले भले ही पप्पू यादव की पहचान बाहुबली के तौर पर हो। लेकिन वर्तमान में उनकी पहचान एक मसीहा के तौर पर होती है।